Career in Call Center
आधी रात का समय। विदेश में फ ोन की घंटी बजती है। उधर से कोई व्यक्ति रिसीवर उठाकर पूछता है,हू इज स्पीकिंग? फोन करने वाले की मधुर आवाज आती है,सर! आई एमफ्राम.., मे आई हेल्प यू। ऐसी कर्णप्रिय आवाज कॉल सेंटर में काम करने वाले युवाओं की होती है, जो चौबीसो घंटे सेवा के लिए तत्पर रहते हैं..
जल्द से जल्द पैसा कमाने की ललक और आत्मनिर्भर बनने की प्रवृत्ति ने पिछले कुछ वर्षो में युवा पीढ़ी को कॉल सेंटरों की ओर तेजी से आकर्षित किया है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने जब से अपने प्रोडक्ट की सर्विस, कस्टमर केयर व रजिस्ट्रेशन के लिए फोन अटेंड करने वाले रखने शुरू किये हैं, तब से कॉल सेंटर्स ने व्यापक स्तर पर रोजगार के अवसर सुलभ करा दिए हैं।
अब इसका एक नया पहलू सेल्स के रूप में सामने आया है। पहले कॉल सेंटर व बी.पी.ओ. में सिर्फ फोन पर ग्राहकों की शिकायतें सुनकर उनका समाधान बताया जाता था, लेकिन अब येलो पेजेज व डायरेक्टरी में नंबर देखकर घर-घर फोन मिलाकर प्रोडक्ट बेचने के साथ अन्य सेवाएं भी दी जा रही हैं। कर्मचारियों की बढ़ती मांग के कारण बारहवीं पास युवक-युवतियां भी, जो फर्राटेदार अंग्रेजी बोल लेते हैं, कॉल सेंटर में नौकरी कर अच्छी सैलरी व अन्य आकर्षक सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं।
यहां का वर्किग एनवॉयरनमेंट भी मॉडर्न एवं सुविधाजनक होता है।
कार्य की प्रवृत्ति
कॉल सेंटर में कॉल अटेंड करने/सुनने और कॉल करने का कार्य होता है। यह एक ऐसा स्थान है, जहां कंपनियां टेलीफोन, ई-मेल और वेब-चैटिंग के माध्यम से न केवल अपने ग्राहकों की समस्याओं का समाधान करती हैं बल्कि अपना प्रोडक्ट भी बेचती हैं। कॉल सेंटर दो तरह के होते हैं :
इनबाउंड : इनमें ग्राहकों की कॉल अटेंड कर उनकी समस्याओं का समाधान सुझाया जाता है।
आउट बाउंड : इन कॉल सेंटरों से कॉल करके प्रोडक्ट सेलिंग तथा अन्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इन दोनों प्रकार के कॉल सेंटरों की भी दो श्रेणियां हैं :
डोमेस्टिक : यहां सिर्फ अपने देश के ग्राहकों की कॉल अटेंड की जाती है या प्रोडक्ट बेचने के लिए उन्हें कॉल किया जाता है। इनमें प्राय: दिन की शिफ्ट में ही काम होता है।
इंटरनेशनल : इनमें यू.के., यू.एस.ए., आस्ट्रेलिया तथा अन्य देशों की कॉल अटेंड की जाती है या उन्हें अपने प्रोडक्ट की जानकारी देकर बेचने का काम किया जाता है। वैसे, इन सेंटरों में नाइट शिफ्ट में भी काम होता है।
इंफोकॉल सॉल्यूशन्स प्रा.लि., नई दिल्ली के मैनेजर (एडमिनिस्ट्रेशन) आशु अली का कहना है कि चूंकि हमारे देश में जब रात होती है, तो यू.के., यू.एस.ए. आदि में दिन होता है। वहां दिन में सेवाएं देने के लिए नाइट शिफ्ट में काम करना पड़ता है। भारत में कॉल सेंटरों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि का कारण बताते हुए वह कहते हैं कि भारत की तुलना में वहां काम कराना बहुत महंगा पड़ता है, क्योंकि यहां की तुलना में उन देशों में पारिश्रमिक बहुत अधिक है। यही कारण है कि उन देशों के ग्राहकों की डीलिंग भी भारतीय कॉल सेंटरों से ही की जाती है।
योग्यता
इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए अंग्रेजी भाषा की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। साथ ही, फर्राटेदार अंग्रेजी बोलना व अपनी बात को बेहतर अंदाज में प्रस्तुत करना आता हो। कुछ कॉल सेंटर स्नातक उत्तीर्ण लोगों को, तो कुछ सिर्फ बारहवीं पास लोगों को भी काम देते हैं। अधिकांश कॉल सेंटर 18-30 वर्ष के युवाओं को अवसर देते हैं, जबकि कुछ में अधिक आयु वर्ग के लोगों को भी मौका मिल जाता है।
शिफ्ट एवं घंटे
अन्य जगहों की तरह सामान्य तौर पर यहां भी 8 घंटे की ही शिफ्ट होती है। वैसे, बीच-बीच में ब्रेक भी दिया जाता है। डोमेस्टिक कॉल सेंटर में दिन में, जबकि इंटरनेशनल कॉल सेंटर में रात की शिफ्ट में काम होता है। बारहवीं के बाद बहुत से युवक-युवतियां रात को कॉल सेंटर में काम करते हुए दिन में अपनी आगे की पढ़ाई भी जारी रख सकते हैं। इससे पैसे तो मिलते ही हैं, साथ ही उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। नाइट शिफ्ट में लड़कियों की सुरक्षा के सवाल पर नोएडा स्थित पार्थ सॉफ्टेक प्रा. लि. की मैनेजर (एचआर) दीप्ति सिन्हा कहती हैं कि बंगलूर हादसे के बाद कानूनी तौर पर प्रत्येक कॉल सेंटर लड़कियों को खास तौर से सुरक्षा देते हैं।
वेतन व अन्य सुविधाएं
कॉल सेंटर हैंडसम सैलरी के साथ तमाम सुविधाएं मुहैया कराते हैं। वर्ष 2000 से ही कॉल सेंटर ट्रेनिंग इंस्टीटयूट चला रही ब्रेन वेव एकेडमी, नई दिल्ली की एच.आर. हेड रोशनी ने कहा, अच्छा वेतन, अत्याधुनिक वातावरण, पिक-अप व ड्रॉपिंग की सुविधा, मोबाइल भत्ता, दिन-रात की शिफ्ट में काम करने की छूट, प्रोन्नति के अधिक अवसर, नि:शुल्क खाना-पीना, बोनस, इंसेटिव, लोन सुविधा, हम उम्र स्मार्ट सहकर्मियों के साथ काम करने का मौका आदि ऐसी चीजें हैं, जो युवा पीढ़ी को कॉल सेंटर की ओर चुम्बक की तरह खींचती हैं। नोएडा स्थित अकीको कॉलनेट ट्रेनिंग इंस्टीटयूट की सेंटर मैनेजर स्वाति शर्मा ने कुछ और तथ्यों पर रोशनी डाली- इस फील्ड में टेलीकॉलिंग एक्जीक्यूटिव, कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव, टेलीमार्केटिंग एक्जीक्यूटिव, टेलीकॉलर आदि से नौकरी शुरू करके कस्टमर केयर एसोसिएट, टीम लीडर, ट्रेनर, फ्लोर मैनेजर, ऑपरेशन मैनेजर आदि के पद तक तरक्की पा सकते हैं। कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव को 8-12 हजार, सीनियर कस्टमर केयर एक्जीक्यूटिव को 15-20 हजार तथा टीम लीडर को 20-25 हजार तथा ऑपरेशन मैनेजर को 50-60 हजार रुपये तक वेतन मिल सकता है। नई दिल्ली स्थित इंस्टीटयूट इंगलिया प्वाइंट की प्रोप्राइटर गुरमीत कौर का कहना है कि इस क्षेत्र में 5-7 हजार रुपये मासिक से शुरू करके एक साल के अंदर ही 20-25 हजार रुपये मासिक पाया जा सकता है। प्रोन्नति ग्राहकों के साथ व्यवहार, उनकी समस्याओं के समाधान का तरीका, बातचीत के ढंग, अपने प्रोडक्ट के प्रति रिझाने की शैली, संयम, धैर्य आदि पर निर्भर करती है।
प्रशिक्षण
प्रशिक्षित युवाओं को कॉल सेंटर में शीघ्र काम पाने में आसानी होती है। इसे देखते हुए इस क्षेत्र में अनेक छोटे-बड़े इंस्टीटयूट सक्रिय हैं। लेकिन इनमें से किसी में भी प्रवेश लेने से पहले इस बात की जांच-परख अवश्य कर लेनी चाहिए कि वहां प्रैक्टिकल ट्रेनिंग पर कितना ध्यान दिया जाता है। ट्रेनिंग सेंटर में अंग्रेजी पर अच्छी पकड़, कॉल सेंटर की कार्य शैली, ग्राहकों से अच्छे संबंध बनाने, कॉल सेंटर टेक्नोलॉजी, टेलीफोन पर बात करने का तौर-तरीका, प्रोडक्ट बेचने के गुर, कॉल सुनने और प्रश्न करने के ढंग, बोलने के बेहतर अंदाज, कंप्यूटर की प्रारंभिक जानकारी, टीम वर्क एवं मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट, व्यक्तित्व निखारने, इंटरव्यू की तैयारी आदि से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है।
रेजिना ग्लोबल्ज, नई दिल्ली की प्लेसमेंट हेड गीतिका महाजन बताती हैं कि हम अंग्रेजी भाषा की पॉलिश करते हैं, उच्चारण शुद्ध करते हैं, आत्मविश्वास का स्तर बढ़ाने के अलावा इंटरव्यू के लिए उचित उत्तर देना सिखाते हैं। शैलजा दास गुप्ता ने कहा कि जिसकी कम्युनिकेशन स्किल्स जितनी अच्छी होती है, वह उतनी जल्दी कामयाब होता है। विभिन्न इंस्टीटयूट्स में 15 दिन से 60 दिन की ट्रेनिंग के लिए 2,500 रुपये से लेकर 12,000 रुपये तक फीस ली जाती है।
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