आवाज का जादू

 


रेडियो पर गीत- संगीत सुनना किसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन ऐसे प्रोग्राम को दिलकश बनाता है-रेडियो जॉकी। यदि आप भी मधुर व स्पष्ट आवाज के मालिक हैं, तो आरजे के रूप में अपनी पहचान बना सकते हैं।

बहनो और भाइयो! पेश है आपका पसंदीदा प्रोग्राम.. गीतमाला..। इस तरह की चिर-परिचित कर्णप्रिय आवाज सुनते ही श्रोताओं को अमीन सयानी की सहज ही याद आ जाती है। कानों में रस घोलती गीत-संगीत की मधुर ध्वनि और साथ में प्रोग्राम पेश करने वाले की दिलकश आवाज, श्रोता को बरबस ही झूमने के लिए मजबूर कर देती है। गाने तो हर किसी को प्रिय होते हैं, लेकिन जब उसे पेश करने वाले की खास अदा मन मोह ले, तो फिर श्रोता क्यों न उस प्रोग्राम से बंध जाए। आज आकाशवाणी और निजी एफएम चैनलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिन पर अलग-अलग कार्यक्रम के तहत चौबीस घंटे नए-पुराने गाने बजते रहते हैं। लेकिन हर कार्यक्रम का अंदाज अलग होता है और इसका श्रेय जाता है, उसे पेश करने वाले रेडियो जॉकी यानी आरजे को। एफएम चैनलों ने रेडियो जॉकी के लिए अवसर बढ़ा दिए हैं।

एफएम चैनल अभी तक मुख्य रूप से बड़े मेट्रो शहरों से ही संचालित होते रहे हैं, पर निकट भविष्य में 40 से अधिक शहरों से एफएम चैनल शुरू होने की घोषणा से रेडियो जॉकी के क्षेत्र में संभावनाएं बढ़ गई हैं। एक साथ कई एफएम चैनल शुरू होने की घोषणा के साथ ही इस पेशे का ग्लैमर आसमान छूने लगा है। रेडियो मिर्ची, रेड एफएम, रेडियो सिटी और रेडियो मिड डे पर तो काफी संख्या में रेडियो जॉकी की नई पौध तैयार हो रही है। रेडियो जॉकी एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें नेम-फेम और पैसा तीनों कमाया जा सकता है।

इस पेशे की खासियत आवाज का वह जादू है, जो लोगों को दीवाना बना देता है। अमीन सयानी, शमशीर लूथरा, ओ.पी. राठौर, करण, नितिन, देव, राजीव त्यागी, मनीषा दुबे, कन्नूप्रिया, महनाज अनवर, मंत्रा और ऋचा की आवाज के दीवाने आज घर-घर में मौजूद हैं। रेडियो जॉकी का काम किसी भी प्रोग्राम को अपनी दिलकश आवाज से श्रोताओं के बीच लोकप्रिय बनाना है। उसे अपनी आवाज के साथ-साथ प्रजेंस ऑफ माइंड का भी बेहतर इस्तेमाल करना होता है। प्रोग्राम पेश करते हुए श्रोता को यह लगना चाहिए कि वह उससे आमने-सामने मुखातिब है। बातचीत में निपुण और अच्छे ह्यूमर सेंस रखने वाले युवा इस करियर में बेहतर साबित हो सकते हैं। साथ में, यदि संगीत की अच्छी समझ हो, तो सोने पर सुहागा है।

क्या हो योग्यता

एक रेडियो जॉकी के लिए किसी विशेष शैक्षणिक योग्यता का होना अनिवार्य नहीं है। 12वीं पास युवा भी इस क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। हालांकि मान्यता प्राप्त रेडियो प्रसारण केंद्रों पर एक रेडियो जॉकी के लिए स्नातक होना अनिवार्य है। उसकी आयु 35 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, लेकिन प्राइवेट चैनलों के लिए योग्यता और उम्र की ऐसी पाबंदी नहीं है।
हां, अपने फन में माहिर होना जरूरी है। एक रेडियो जॉकी के लिए शब्दों का उच्चारण बहुत महत्वपूर्ण होता है। उसे सरल शब्दों के साथ-साथ कठिन शब्दों के भी सही, शुद्ध व स्पष्ट उच्चारण में महारत हासिल होना चाहिए। इसके अलावा सामान्य ज्ञान की जानकारी और धाराप्रवाह बोलने की कला में निपुण होना भी अनिवार्य गुण है। चूंकि एक रेडियो जॉकी श्रोताओं से सीधे मुखातिब होता है, इसलिए उसे हमेशा इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि उसे अपनी बातचीत की कला से ही श्रोताओं को बांधना है।

शिक्षण संस्थान

देश में रेडियो जॉकी पाठ्यक्रम मुहैया कराने वाले संस्थान कम ही हैं। हालांकि ब्रॉडकास्टिंग पाठयक्रम चलाने वाले संस्थानों की कमी नहीं है, लेकिन रेडियो जॉकी के लिए विशेष प्रशिक्षण कम ही संस्थान देते हैं। जिन संस्थानों में इस तरह के पाठयक्रम चल रहे हैं, वहां दो महीने के सर्टिफिकेट कोर्स से लेकर एक साल तक के पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स तक उपलब्ध हैं। इसके अलावा अल्प अवधि के क्रैश कोर्स भी छात्रों के लिए काफी उपयोगी होते हैं, जिसे करने के बाद इस क्षेत्र में उतरा जा सकता है। इस बात का हमेशा खयाल रखें कि संस्थान में सिर्फ दाखिला मिल जाने या डिग्री हासिल कर लेने भर से ही रेडियो जॉकी नहीं बना जा सकता। निरंतर अभ्यास और अनुभव से ही इस फील्ड में नाम और पैसा कमाया जा सकता है। वैसे आकाशवाणी का ऑडीशन टेस्ट पास कर चुके और वहां आरजे के रूप में काम करने वाले युवाओं को निजी एफएम चैनल प्राथमिकता देते हैं।

कहां से करें कोर्स

ऑल इंडिया रेडियो, दिल्ली रेडियो जॉकी के लिए खुद कोई कोर्स नहीं कराता। हालांकि वह ऑडीशन टेस्ट के बाद आरजे के रूप में चयनित लोगों को एक सप्ताह की सघन ट्रेनिंग देता है। इसे करने के बाद किसी भी रेडियो केंद्र से शुरुआत की जा सकती है।
रेडियो जॉकी की ट्रेनिंग देने वाले कुछ प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं :
ऑल इंडिया रेडियो, चंडीगढ़ द्वारा एक सप्ताह का वाणी सर्टिफिकेट कोर्स
मुद्रा इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद की ओर से एक साल का स्नातक पाठयक्रम
जेवियर इंस्टीटयूट ऑफ ब्रॉडकास्टिंग, मुंबई द्वारा एनाउंसिंग, ब्रॉडकास्टिंग, कम्पेयरिंग और डबिंग का एक वर्षीय पाठयक्रम

कमाई आरजे की

लगातार बढ़ते एफएम चैनलों के कारण रेडियो जॉकी के लिए अवसर काफी बढ़ गए हैं। आरजे के रूप में पहचान भी है और पैसा भी। एक रेडियो जॉकी के रूप में स्थायी रूप से अनुबंध होने पर वेतन के रूप में शुरुआत में 7000 रुपये से लेकर 15000 रुपये तक मिलता है। प्राइवेट चैनलों में एक कुशल आरजे को 12-15 हजार रुपये से शुरुआत मिल सकती है। अनुभव और योग्यता के साथ आमदनी भी बढ़ती जाती है। रेडियो जॉकी के रूप में वॉयस ओवर, एडवरटिजमेंट जिंगल्स के तौर पर टेलीविजन चैनल और कॉरपोरेट घरानों के लिए प्रोग्राम पेश करके भी अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं।
एक रेडियो जॉकी के लिए माइक्रोफोन से रिश्ता जरूरी है। वह जब भी कार्यक्रम पेश करे, तो ऐसा लगना चाहिए कि स्टूडियो नहीं, बल्कि घर में बैठकर दोस्तों से बात कर रहा है। उस बातचीत में अपनेपन का एहसास होना चाहिए। अपनेपन के लिए प्यार और तकरार जरूरी है, इसलिए मैं अपने श्रोताओं को मीठी झिड़की भी देती हूं और प्यार भी करती हूं। आवाज का धनी होना इस पेशे में बेहद जरूरी है, हालांकि बोलने के अंदाज में बिंदासपन लाकर इस कमी को दूर किया जा सकता है। आखिर रानी मुखर्जी बिना अच्छी आवाज के ही इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री की रानी बनी हुई हैं। संजीव कुमार की भी आवाज अच्छी नहीं थी, लेकिन डबिंग पर ज्यादा ध्यान देकर उन्होंने इस कमी को दूर किया। मैं तो बिना रेडियो सुने ही इस पेशे में आई और काम के साथ-साथ बहुत कुछ सीखती गई। इन दिनों भी आवाज से खेलने के लिए उर्दू सीख रही हूं। पढ़ने-लिखने का शौक भी इस पेशे में अहम भूमिका निभाता है।


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